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Lohri: ऐतिहासिक कहानी के साथ जानें क्यों मनाया जाता है ये त्यौहार


Lohri

लोहड़ी की रात महिलाएं व अन्य पारिवारिक सदस्य एक-दूसरे को निशाना बना कर पंजाबी बोलियां गाते हुए हंसी-ठिठोली भी करते हैं। पंजाब में आमतौर घरों में गन्ने के रस व चावल के रस में दूध मिलाकर स्वादिष्ट खीर तैयार करने की भी परंपरा है।  आजकल तो लोगों द्वारा होटलों में लोहड़ी व पार्टी मनाने का प्रचलन भी शुरू हो चुका है। कुछ भी हो लोहड़ी पर बहाने से ही सही, सब लोग एक साथ इकट्ठे होकर खूब मस्ती करते हैं व एक-दूसरे का हाल-चाल पूछते हुए खाते-पीते हैं। लोहड़ी एक अवसर है- सबको एक-दूसरे के करीब लाने और भाईचारा बनाए रखने का।

ऐतिहासिक कहानी 

Lohri


बादशाह अकबर के शासन काल में सुंदरी एवं मुंदरी नाम की दो अनाथ लड़कियां थीं जिनको उनका चाचा विधिवत शादी न कर के एक राजा को भेंट कर देना चाहता था। उसी समय दुल्ला भट्टी नाम का एक नेक दिल डाकू था। उसने दोनों लड़कियों सुंदरी एवं मुंदरी को उनके चाचा से छुड़ा कर उनकी शादियां कीं। इस मुसीबत की घड़ी में दुल्ला भट्टी ने लड़कियों की मदद की और लड़के वालों को मना कर एक जंगल में आग जला कर दोनों लड़कियों का विवाह करवाया। दुल्ले ने खुद ही उन दोनों का कन्यादान किया।
जल्दी-जल्दी में शादी की धूमधाम का इंतजाम भी न हो सका इसलिए दुल्ले ने उन लड़कियों की झोली में एक सेर शक्कर डाल कर ही उनको विदा किया। डाकू होकर भी दुल्ला भट्टी ने निर्धन लड़कियों के लिए पिता की भूमिका निभाई।


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